प्रिय बंधुओं,
यहां कुछ बहुमुल्य जानकारी उपलब्ध
करवाई जा रही है।
जो मेरे भाई-बहिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे दिन-रात लगे हुए है या वो जो अपने ज्ञान मे वृद्धि करने के इच्छुक है या बहुत कुछ जाननें के प्रति दृढ़ संकल्पित है। वैसे सफलता का कोई आसान रास्ता नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
पहले के समय मे जहां गणित,और विज्ञान की पढाई पर ही बल दिया जाता था।गणित और विज्ञान को कठिन विषय समझा जाता था।जिसका डर आज भी बच्चो के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है।
वर्तमान दौर मे इतिहास एवं सामान्य ज्ञान पर ही बल दिया जा रहा है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं मे अधिक अंक लाने के लिए आपको सामान्य ज्ञान होना बहुत जरूरी है और समय की मांग भी है।
तो मित्रों शुरू से ही यदि हम सामान्य ज्ञान का अध्ययन निरन्तर करते रहे तो हमें ज्यादा परेशानियों का सामना नही पड़ता।
सामान्य ज्ञान याद रखने का केवल और केवल एक ही तरीका होता है सुबह सुबह ध्यान एवं योगा और सामान्य ज्ञान का समय समय पर दोहराव।
अंत मे मै उम्मीद करता हूं कि प्रस्तुत जानकारी आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
अगर लिखते समय कोई भूल हुई हो या आप कोई सुझाव देना चाहे कि आप किसके बारें मे जानकारी चाहते है तो कृपया करके मुझे अवगत करायें।
अगर मेरी वजह से किसी भी भाई बहिन के ज्ञान मे वृद्धि हुई तो मै अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा।
Trick:महाराजा राजस्थान संगीत की लोक कला को नाटक का रूप देकर रवीन्द्र के द्वारा कत्थक के पश्चिमी क्षेत्र केन्द्र की जगह जवाहरनगर मे शर्मा शोध संस्था खोलना चाहते है।
१. महाराजा स्कूल ऑफ आर्ट,जयपुर(1866)
२. राजस्थान संगीत संस्था,जयपुर(1950)
३. भारतीय लोक कला मंडल,उदयपुर(1952)
४. राजस्थान संगीत नाटक अकादमी,जोधपुर(1957)
५. रूपायन संस्था बोरून्दा,जोधपुर(1960)
६. रवीन्द्र मंच सोसायटी,जयपुर(1963)
७. जयपुर कथक केन्द्र,जयपुर(1978)
८. पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र,उदयपुर(1986)
९. जवाहर कला केन्द्र,जयपुर(1993)
१०. पं.झाबरमल शर्मा शोध संस्था,जयपुर(2000)
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