प्रिय बंधुओं,
यहां कुछ बहुमुल्य जानकारी उपलब्ध
करवाई जा रही है।
जो मेरे भाई-बहिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे दिन-रात लगे हुए है या वो जो अपने ज्ञान मे वृद्धि करने के इच्छुक है या बहुत कुछ जाननें के प्रति दृढ़ संकल्पित है। वैसे सफलता का कोई आसान रास्ता नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
पहले के समय मे जहां गणित,और विज्ञान की पढाई पर ही बल दिया जाता था।गणित और विज्ञान को कठिन विषय समझा जाता था।जिसका डर आज भी बच्चो के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है।
वर्तमान दौर मे इतिहास एवं सामान्य ज्ञान पर ही बल दिया जा रहा है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं मे अधिक अंक लाने के लिए आपको सामान्य ज्ञान होना बहुत जरूरी है और समय की मांग भी है।
तो मित्रों शुरू से ही यदि हम सामान्य ज्ञान का अध्ययन निरन्तर करते रहे तो हमें ज्यादा परेशानियों का सामना नही पड़ता।
सामान्य ज्ञान याद रखने का केवल और केवल एक ही तरीका होता है सुबह सुबह ध्यान एवं योगा और सामान्य ज्ञान का समय समय पर दोहराव।
अंत मे मै उम्मीद करता हूं कि प्रस्तुत जानकारी आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
अगर लिखते समय कोई भूल हुई हो या आप कोई सुझाव देना चाहे कि आप किसके बारें मे जानकारी चाहते है तो कृपया करके मुझे अवगत करायें।
अगर मेरी वजह से किसी भी भाई बहिन के ज्ञान मे वृद्धि हुई तो मै अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा।
१.जनजाति:मुखिया-
पटेल--मीणा जनजाति में पंचायत का मुखिया होता है।
गमेती--भीलों के समस्त गाँवों का मुखिया होता है।
सहलोत--गरासिया जनजाति के गाँव का मुखिया होता है।
कोतवाल--सहरिया जनजाति का मुखिया होता है।
मुखी--डामोर जनजाति की जाति पंचायत का मुखिया होता है।
पालवी/तदवी--भीलों का मुखिया होता है।
२.जनजाति:वेशभूषा-
कछावू--भील स्त्रियों द्वारा घुटनों तक पहने जाने वाला घाघरा।
ठेपाड़ा--भीलों द्वारा पहने जाने वाला कुर्ता/अंगरखी/तंग धाती।
खोयतु--लंगोटिया भीलों द्वारा कमर पर बांधे जाने वाला कपड़ा होता है।
३.जनजाति:मेले-
वेणेश्वर मेला--भील जनजाति का
घोटिया अम्बा मेला--भील जनजाति का
मनखारो मेला--गरासिया जनजाति का
सीताबाड़ी का मेला--सहरिया जनजाति का
झेला बावसी का मेला--डामोर जनजाति का
यहां कुछ बहुमुल्य जानकारी उपलब्ध
करवाई जा रही है।
जो मेरे भाई-बहिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे दिन-रात लगे हुए है या वो जो अपने ज्ञान मे वृद्धि करने के इच्छुक है या बहुत कुछ जाननें के प्रति दृढ़ संकल्पित है। वैसे सफलता का कोई आसान रास्ता नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
पहले के समय मे जहां गणित,और विज्ञान की पढाई पर ही बल दिया जाता था।गणित और विज्ञान को कठिन विषय समझा जाता था।जिसका डर आज भी बच्चो के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है।
वर्तमान दौर मे इतिहास एवं सामान्य ज्ञान पर ही बल दिया जा रहा है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं मे अधिक अंक लाने के लिए आपको सामान्य ज्ञान होना बहुत जरूरी है और समय की मांग भी है।
तो मित्रों शुरू से ही यदि हम सामान्य ज्ञान का अध्ययन निरन्तर करते रहे तो हमें ज्यादा परेशानियों का सामना नही पड़ता।
सामान्य ज्ञान याद रखने का केवल और केवल एक ही तरीका होता है सुबह सुबह ध्यान एवं योगा और सामान्य ज्ञान का समय समय पर दोहराव।
अंत मे मै उम्मीद करता हूं कि प्रस्तुत जानकारी आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
अगर लिखते समय कोई भूल हुई हो या आप कोई सुझाव देना चाहे कि आप किसके बारें मे जानकारी चाहते है तो कृपया करके मुझे अवगत करायें।
अगर मेरी वजह से किसी भी भाई बहिन के ज्ञान मे वृद्धि हुई तो मै अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा।
१.जनजाति:मुखिया-
पटेल--मीणा जनजाति में पंचायत का मुखिया होता है।
गमेती--भीलों के समस्त गाँवों का मुखिया होता है।
सहलोत--गरासिया जनजाति के गाँव का मुखिया होता है।
कोतवाल--सहरिया जनजाति का मुखिया होता है।
मुखी--डामोर जनजाति की जाति पंचायत का मुखिया होता है।
पालवी/तदवी--भीलों का मुखिया होता है।
२.जनजाति:वेशभूषा-
कछावू--भील स्त्रियों द्वारा घुटनों तक पहने जाने वाला घाघरा।
ठेपाड़ा--भीलों द्वारा पहने जाने वाला कुर्ता/अंगरखी/तंग धाती।
खोयतु--लंगोटिया भीलों द्वारा कमर पर बांधे जाने वाला कपड़ा होता है।
३.जनजाति:मेले-
वेणेश्वर मेला--भील जनजाति का
घोटिया अम्बा मेला--भील जनजाति का
मनखारो मेला--गरासिया जनजाति का
सीताबाड़ी का मेला--सहरिया जनजाति का
झेला बावसी का मेला--डामोर जनजाति का
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