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मनोविश्लेषण की प्रक्षेपण विधियाँ

प्रिय बंधुओं,
               यहां कुछ बहुमुल्य जानकारी उपलब्ध
करवाई जा रही है।
जो मेरे भाई-बहिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे दिन-रात लगे हुए है या वो जो अपने ज्ञान मे वृद्धि करने के इच्छुक है या बहुत कुछ जाननें के प्रति दृढ़ संकल्पित है। वैसे सफलता का कोई आसान रास्ता नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
पहले के समय मे जहां गणित,और विज्ञान की पढाई पर ही बल दिया जाता था।गणित और विज्ञान को कठिन विषय समझा जाता था।जिसका डर आज भी बच्चो के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है।
वर्तमान दौर मे इतिहास एवं सामान्य ज्ञान पर ही बल दिया जा रहा है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं मे अधिक अंक लाने के लिए आपको सामान्य ज्ञान होना बहुत जरूरी है और समय की मांग भी है।
तो मित्रों शुरू से ही यदि हम सामान्य ज्ञान का अध्ययन निरन्तर करते रहे तो हमें ज्यादा परेशानियों का सामना नही पड़ता।
सामान्य ज्ञान याद रखने का केवल और केवल एक ही तरीका होता है सुबह सुबह ध्यान एवं योगा और  सामान्य ज्ञान का समय समय पर दोहराव।
अंत मे मै उम्मीद करता हूं कि प्रस्तुत जानकारी आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
अगर लिखते समय कोई भूल हुई हो या आप कोई सुझाव देना चाहे कि आप किसके बारें मे जानकारी चाहते है तो कृपया करके मुझे अवगत करायें।
अगर मेरी वजह से किसी भी भाई बहिन के ज्ञान मे वृद्धि हुई तो मै अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा।




१.रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण-
स्विट्जरलैण्ड के मनोरोग चिकित्सक हरमन रोर्शा ने 1921मे प्रवर्त्तन किया।इसमे 10 कार्ड होते है जिनमे से 5 काले,2 काले व लाल और 3 अनेक रंगो के होते है।
रोर्शा का मानना था कि व्यक्ति का व्यवहार चेतन से अचेतन पर निर्भर करता है।

२.वाक्य या कहानी पूर्ति परीक्षण-(1930)
इसका प्रवर्तक पाइने व टेण्टलर है।
इसमे बालक को कुछ अधूरे वाक्य(20-वाक्य) दिए जाते है जो बालक को पूरे करने होते है।

३.प्रासंगिक अन्तर्बोध परीक्षण-
इसका निर्माण मोर्गन एवं मुरे ने 1925 मे किया था।इस परीक्षण मे स्त्री पुरुषो के 30 चित्र होते है।इनमे से 10 चित्र पुरुषो के लिए,10 चित्र स्त्रियो के लिए और 10 दोनो के लिए।यह व्यस्को के लिए ही है। इसे T.A.T परीक्षण भी कहते है।

४.बाल अन्तर्बोध परीक्षण-
इसका निर्माण लियोपोल्ड बैलक ने 1948 मे किया था। यह परीक्षण 3 से 11 वर्ष के बच्चो के लिए होता है।
इसमे चित्र मानवो की जगह जानवरो के होते है। इस परीक्षण मे संशोधन कोलकाता की उमा चौधरी ने किया था।इसे C.A. T. परीक्षण भी कहते है।

५.खेल व नाटक विधि-जे.ऐल.मोरेनो
इस विधि मे बच्चो से स्वतंत्रतापूर्वक खेल व नाटक का आयोजन करवाया जाता है और इस दौरान उनके व्यक्तित्व संबंधी गुणो की पहचान की जाती है।

६.वर्णन विधि-आलपोर्ट व वर्नोन

मनोविश्लेषण विधियाँ:
स्वतंत्र शब्द साहचर्य विधि-(1879) गाल्टन-75 शब्द
स्वप्न विधि- फ्रायड
सम्मोहन विधि- फ्रायड

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