प्रिय बंधुओं,
यहां कुछ बहुमुल्य जानकारी उपलब्ध
करवाई जा रही है।
जो मेरे भाई-बहिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे दिन-रात लगे हुए है या वो जो अपने ज्ञान मे वृद्धि करने के इच्छुक है या बहुत कुछ जाननें के प्रति दृढ़ संकल्पित है। वैसे सफलता का कोई आसान रास्ता नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
पहले के समय मे जहां गणित,और विज्ञान की पढाई पर ही बल दिया जाता था।गणित और विज्ञान को कठिन विषय समझा जाता था।जिसका डर आज भी बच्चो के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है।
वर्तमान दौर मे इतिहास एवं सामान्य ज्ञान पर ही बल दिया जा रहा है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं मे अधिक अंक लाने के लिए आपको सामान्य ज्ञान होना बहुत जरूरी है और समय की मांग भी है।
तो मित्रों शुरू से ही यदि हम सामान्य ज्ञान का अध्ययन निरन्तर करते रहे तो हमें ज्यादा परेशानियों का सामना नही पड़ता।
सामान्य ज्ञान याद रखने का केवल और केवल एक ही तरीका होता है सुबह सुबह ध्यान एवं योगा और सामान्य ज्ञान का समय समय पर दोहराव।
अंत मे मै उम्मीद करता हूं कि प्रस्तुत जानकारी आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
अगर लिखते समय कोई भूल हुई हो या आप कोई सुझाव देना चाहे कि आप किसके बारें मे जानकारी चाहते है तो कृपया करके मुझे अवगत करायें।
अगर मेरी वजह से किसी भी भाई बहिन के ज्ञान मे वृद्धि हुई तो मै अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा।
१.निरीक्षण विधि- इसें बर्हिदर्शन विधि भी कहते है।
इसके प्रतिपादक वॉटसन है। इस विधि मे व्यक्ति के व्यवहार का भिन्न-भिन्न परिस्थिति में अध्ययन करके निष्कर्ष निकाला जाता है।
२.समाजमिति विधि- इसके प्रवर्तक जे. एल. मोरेनो है। इस विधि मे व्यक्ति के समाज से संबंधित लोगो से राय लेकर निष्कर्ष निकाला जाता है।
३.क्रम निर्धारण मापनी विधि-इस विधि के प्रवर्तक थर्स्टन है। इसमे आँकड़ो को एकत्रित करके निष्कर्ष निकाला जाता है। इसमे प्रश्नों की संख्या निश्चित होती है और व्यक्ति का आमने-सामने होना जरूरी नहीं होता है। मापनी में केवल पाँच विकल्प(पूर्ण सहमत,सहमत,अनिश्चित,असहमत,पूर्ण असहमत) होते है।
४.निष्पादन परीक्षण-इसके प्रवर्तक हार्टशॉर्न एवं मेय है।
५.सामाजिक दूरी मापनी-बोगार्डस
यहां कुछ बहुमुल्य जानकारी उपलब्ध
करवाई जा रही है।
जो मेरे भाई-बहिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे दिन-रात लगे हुए है या वो जो अपने ज्ञान मे वृद्धि करने के इच्छुक है या बहुत कुछ जाननें के प्रति दृढ़ संकल्पित है। वैसे सफलता का कोई आसान रास्ता नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
पहले के समय मे जहां गणित,और विज्ञान की पढाई पर ही बल दिया जाता था।गणित और विज्ञान को कठिन विषय समझा जाता था।जिसका डर आज भी बच्चो के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है।
वर्तमान दौर मे इतिहास एवं सामान्य ज्ञान पर ही बल दिया जा रहा है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं मे अधिक अंक लाने के लिए आपको सामान्य ज्ञान होना बहुत जरूरी है और समय की मांग भी है।
तो मित्रों शुरू से ही यदि हम सामान्य ज्ञान का अध्ययन निरन्तर करते रहे तो हमें ज्यादा परेशानियों का सामना नही पड़ता।
सामान्य ज्ञान याद रखने का केवल और केवल एक ही तरीका होता है सुबह सुबह ध्यान एवं योगा और सामान्य ज्ञान का समय समय पर दोहराव।
अंत मे मै उम्मीद करता हूं कि प्रस्तुत जानकारी आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
अगर लिखते समय कोई भूल हुई हो या आप कोई सुझाव देना चाहे कि आप किसके बारें मे जानकारी चाहते है तो कृपया करके मुझे अवगत करायें।
अगर मेरी वजह से किसी भी भाई बहिन के ज्ञान मे वृद्धि हुई तो मै अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा।
१.निरीक्षण विधि- इसें बर्हिदर्शन विधि भी कहते है।
इसके प्रतिपादक वॉटसन है। इस विधि मे व्यक्ति के व्यवहार का भिन्न-भिन्न परिस्थिति में अध्ययन करके निष्कर्ष निकाला जाता है।
२.समाजमिति विधि- इसके प्रवर्तक जे. एल. मोरेनो है। इस विधि मे व्यक्ति के समाज से संबंधित लोगो से राय लेकर निष्कर्ष निकाला जाता है।
३.क्रम निर्धारण मापनी विधि-इस विधि के प्रवर्तक थर्स्टन है। इसमे आँकड़ो को एकत्रित करके निष्कर्ष निकाला जाता है। इसमे प्रश्नों की संख्या निश्चित होती है और व्यक्ति का आमने-सामने होना जरूरी नहीं होता है। मापनी में केवल पाँच विकल्प(पूर्ण सहमत,सहमत,अनिश्चित,असहमत,पूर्ण असहमत) होते है।
४.निष्पादन परीक्षण-इसके प्रवर्तक हार्टशॉर्न एवं मेय है।
५.सामाजिक दूरी मापनी-बोगार्डस
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