प्रिय बंधुओं,
यहां कुछ बहुमुल्य जानकारी उपलब्ध
करवाई जा रही है।
जो मेरे भाई-बहिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे दिन-रात लगे हुए है या वो जो अपने ज्ञान मे वृद्धि करने के इच्छुक है या बहुत कुछ जाननें के प्रति दृढ़ संकल्पित है। वैसे सफलता का कोई आसान रास्ता नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
पहले के समय मे जहां गणित,और विज्ञान की पढाई पर ही बल दिया जाता था।गणित और विज्ञान को कठिन विषय समझा जाता था।जिसका डर आज भी बच्चो के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है।
वर्तमान दौर मे इतिहास एवं सामान्य ज्ञान पर ही बल दिया जा रहा है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं मे अधिक अंक लाने के लिए आपको सामान्य ज्ञान होना बहुत जरूरी है और समय की मांग भी है।
तो मित्रों शुरू से ही यदि हम सामान्य ज्ञान का अध्ययन निरन्तर करते रहे तो हमें ज्यादा परेशानियों का सामना नही पड़ता।
सामान्य ज्ञान याद रखने का केवल और केवल एक ही तरीका होता है सुबह सुबह ध्यान एवं योगा और सामान्य ज्ञान का समय समय पर दोहराव।
अंत मे मै उम्मीद करता हूं कि प्रस्तुत जानकारी आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
अगर लिखते समय कोई भूल हुई हो या आप कोई सुझाव देना चाहे कि आप किसके बारें मे जानकारी चाहते है तो कृपया करके मुझे अवगत करायें।
अगर मेरी वजह से किसी भी भाई बहिन के ज्ञान मे वृद्धि हुई तो मै अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा।
मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त-फ्रायड(इदम,परम अहम,अहम)
शरीर रचना सिद्धान्त-शैल्डन(गोलाकृति,आयताकृति और लम्बाकृति)
माँग सिद्धान्त-----हेनरी मुरे(40 माँग)
विशेषक सिद्धान्त------ऑलपोर्ट,कैटल(प्रतिकारक सिद्धान्त)
हार्मिक सिद्धान्त-----मैक्डूगल
आत्म ज्ञान का सिद्धान्त-----मास्लो
जीव सिद्धान्त-----गोल्डस्टीन
कैचमर के अनुसार----एस्थेनिक,एथलेटिक,पिकनिक
कपिल मुनि के अनुसार----सत,तम,रज
थार्नडाइक के अनुसार----सूक्ष्म,स्थूल,प्रत्यक्ष
जुंग के अनुसार----अन्तर्मुखी,बहिर्मुखी,उभयर्मुखी
हिप्पोक्रेटस के अनुसार----कफ प्रवृत्ति,काले पित्त,पीले पित्त,अधिक रूधिर वाले
आधुनिक वर्गीकरण----भावुक,कर्मशील,विचारशील
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