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व्यक्तित्व के आयाम

प्रिय बंधुओं,
               यहां कुछ बहुमुल्य जानकारी उपलब्ध
करवाई जा रही है।
जो मेरे भाई-बहिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे दिन-रात लगे हुए है या वो जो अपने ज्ञान मे वृद्धि करने के इच्छुक है या बहुत कुछ जाननें के प्रति दृढ़ संकल्पित है। वैसे सफलता का कोई आसान रास्ता नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
पहले के समय मे जहां गणित,और विज्ञान की पढाई पर ही बल दिया जाता था।गणित और विज्ञान को कठिन विषय समझा जाता था।जिसका डर आज भी बच्चो के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है।
वर्तमान दौर मे इतिहास एवं सामान्य ज्ञान पर ही बल दिया जा रहा है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं मे अधिक अंक लाने के लिए आपको सामान्य ज्ञान होना बहुत जरूरी है और समय की मांग भी है।
तो मित्रों शुरू से ही यदि हम सामान्य ज्ञान का अध्ययन निरन्तर करते रहे तो हमें ज्यादा परेशानियों का सामना नही पड़ता।
सामान्य ज्ञान याद रखने का केवल और केवल एक ही तरीका होता है सुबह सुबह ध्यान एवं योगा और  सामान्य ज्ञान का समय समय पर दोहराव।
अंत मे मै उम्मीद करता हूं कि प्रस्तुत जानकारी आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
अगर लिखते समय कोई भूल हुई हो या आप कोई सुझाव देना चाहे कि आप किसके बारें मे जानकारी चाहते है तो कृपया करके मुझे अवगत करायें।
अगर मेरी वजह से किसी भी भाई बहिन के ज्ञान मे वृद्धि हुई तो मै अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा।



व्यक्तित्व का विकास जिन जिन दशाओं में होता है उसे व्यक्तित्व का आयाम कहते हैं।

१.शारीरिक आयाम- शारीरिक विकास हर व्यक्ति मे अलग-अलग मात्रा मे होता है जो शारीरिक ग्रन्थियों पर निर्भर करता है ा

२.मानसिक आयाम-वंशानुक्रम से जो योग्यताएँ प्राप्त होती है उसका मानसिक विकास पर अलग ही प्रभाव दिखाई देता है।

३.सामाजिक आयाम-सामाजिकता के आधार पर ही व्यक्ति मेंदयालुता,सहिष्णुता,निर्देयता,कोमलता,कठोरता आदि गुणों का विकास होता है।

४.संवेगात्मक आयाम-सभी व्यक्तियों मे अनेको प्रकार के संवेग होते है लेकिन उन सब की तीव्रता अलग-अलग होती है।

          

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