प्रिय बंधुओं,
यहां कुछ बहुमुल्य जानकारी उपलब्ध
करवाई जा रही है।
जो मेरे भाई-बहिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे दिन-रात लगे हुए है या वो जो अपने ज्ञान मे वृद्धि करने के इच्छुक है या बहुत कुछ जाननें के प्रति दृढ़ संकल्पित है। वैसे सफलता का कोई आसान रास्ता नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
पहले के समय मे जहां गणित,और विज्ञान की पढाई पर ही बल दिया जाता था।गणित और विज्ञान को कठिन विषय समझा जाता था।जिसका डर आज भी बच्चो के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है।
वर्तमान दौर मे इतिहास एवं सामान्य ज्ञान पर ही बल दिया जा रहा है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं मे अधिक अंक लाने के लिए आपको सामान्य ज्ञान होना बहुत जरूरी है और समय की मांग भी है।
तो मित्रों शुरू से ही यदि हम सामान्य ज्ञान का अध्ययन निरन्तर करते रहे तो हमें ज्यादा परेशानियों का सामना नही पड़ता।
सामान्य ज्ञान याद रखने का केवल और केवल एक ही तरीका होता है सुबह सुबह ध्यान एवं योगा और सामान्य ज्ञान का समय समय पर दोहराव।
अंत मे मै उम्मीद करता हूं कि प्रस्तुत जानकारी आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
अगर लिखते समय कोई भूल हुई हो या आप कोई सुझाव देना चाहे कि आप किसके बारें मे जानकारी चाहते है तो कृपया करके मुझे अवगत करायें।
अगर मेरी वजह से किसी भी भाई बहिन के ज्ञान मे वृद्धि हुई तो मै अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा।
मुख्य नियम:
१.तत्परता का नियम-यदि हम किसी कार्य को सीखने के लिए तत्पर होते है तो जल्दी ही सीख जाते है।बस अपना ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता होती है।
२.अभ्यास का नियम-किसी कार्य को सीखने के लिए जितना ज्यादा अभ्यास करेंगे उस कार्य मे उतने ही ज्यादा निपुण हो जाते है।अगर हमने अभ्यास करना छोड़ दिया तो सीखे हुए कार्य को हम भूल भी जाते है।
३.प्रभाव का नियम-यदि किसी कार्य को सीख लेते है तो हमे आत्मसंतुष्टि का अनुभव होता है।और जिस कार्य मे हमे कष्ट होता है उसे हम ना तो सीखते है और ना ही करते है।
गौण नियम:
१.बहुप्रतिक्रिया का नियम-यदि हम कोई नया कार्य सीखना चाहते है तो सफलता प्राप्त करने के लिए लिए अनेको उपाय करते है।प्रयत्न और त्रुटि का सिद्धान्त
२.मनोवृत्ति का नियम-जिस कार्य को करना चाहते है यदि उसके लिए हम मानसिक रूप से तैयार नही है तो सफलता नही मिलती है।
३.आंशिक क्रिया का नियम-यदि किसी कार्य को छोटे-छोटे कार्यो मे बांटकर कार्य करे तो संपूर्ण कार्य आसान हो जाता है।
४.आत्मीकरण का सिद्धान्त-जब भी हम कोई नया कार्य सीखना चाहते है तो उसका संबंध हम अपने पूर्व ज्ञान से जोड़कर एक नया संबंध स्थापित करने की कोशिश करते है।
५.साहचर्य का नियम-इसमे किसी कार्य को करने का ढंग तो वही रहता है परन्तु परिस्थिति बदल जाती है।
यहां कुछ बहुमुल्य जानकारी उपलब्ध
करवाई जा रही है।
जो मेरे भाई-बहिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे दिन-रात लगे हुए है या वो जो अपने ज्ञान मे वृद्धि करने के इच्छुक है या बहुत कुछ जाननें के प्रति दृढ़ संकल्पित है। वैसे सफलता का कोई आसान रास्ता नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
पहले के समय मे जहां गणित,और विज्ञान की पढाई पर ही बल दिया जाता था।गणित और विज्ञान को कठिन विषय समझा जाता था।जिसका डर आज भी बच्चो के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है।
वर्तमान दौर मे इतिहास एवं सामान्य ज्ञान पर ही बल दिया जा रहा है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं मे अधिक अंक लाने के लिए आपको सामान्य ज्ञान होना बहुत जरूरी है और समय की मांग भी है।
तो मित्रों शुरू से ही यदि हम सामान्य ज्ञान का अध्ययन निरन्तर करते रहे तो हमें ज्यादा परेशानियों का सामना नही पड़ता।
सामान्य ज्ञान याद रखने का केवल और केवल एक ही तरीका होता है सुबह सुबह ध्यान एवं योगा और सामान्य ज्ञान का समय समय पर दोहराव।
अंत मे मै उम्मीद करता हूं कि प्रस्तुत जानकारी आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
अगर लिखते समय कोई भूल हुई हो या आप कोई सुझाव देना चाहे कि आप किसके बारें मे जानकारी चाहते है तो कृपया करके मुझे अवगत करायें।
अगर मेरी वजह से किसी भी भाई बहिन के ज्ञान मे वृद्धि हुई तो मै अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा।
मुख्य नियम:
१.तत्परता का नियम-यदि हम किसी कार्य को सीखने के लिए तत्पर होते है तो जल्दी ही सीख जाते है।बस अपना ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता होती है।
२.अभ्यास का नियम-किसी कार्य को सीखने के लिए जितना ज्यादा अभ्यास करेंगे उस कार्य मे उतने ही ज्यादा निपुण हो जाते है।अगर हमने अभ्यास करना छोड़ दिया तो सीखे हुए कार्य को हम भूल भी जाते है।
३.प्रभाव का नियम-यदि किसी कार्य को सीख लेते है तो हमे आत्मसंतुष्टि का अनुभव होता है।और जिस कार्य मे हमे कष्ट होता है उसे हम ना तो सीखते है और ना ही करते है।
गौण नियम:
१.बहुप्रतिक्रिया का नियम-यदि हम कोई नया कार्य सीखना चाहते है तो सफलता प्राप्त करने के लिए लिए अनेको उपाय करते है।प्रयत्न और त्रुटि का सिद्धान्त
२.मनोवृत्ति का नियम-जिस कार्य को करना चाहते है यदि उसके लिए हम मानसिक रूप से तैयार नही है तो सफलता नही मिलती है।
३.आंशिक क्रिया का नियम-यदि किसी कार्य को छोटे-छोटे कार्यो मे बांटकर कार्य करे तो संपूर्ण कार्य आसान हो जाता है।
४.आत्मीकरण का सिद्धान्त-जब भी हम कोई नया कार्य सीखना चाहते है तो उसका संबंध हम अपने पूर्व ज्ञान से जोड़कर एक नया संबंध स्थापित करने की कोशिश करते है।
५.साहचर्य का नियम-इसमे किसी कार्य को करने का ढंग तो वही रहता है परन्तु परिस्थिति बदल जाती है।
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