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मैक्डूगल की 14 मूल प्रवृत्तियाँ

प्रिय बंधुओं,
               यहां कुछ बहुमुल्य जानकारी उपलब्ध
करवाई जा रही है।
जो मेरे भाई-बहिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे दिन-रात लगे हुए है या वो जो अपने ज्ञान मे वृद्धि करने के इच्छुक है या बहुत कुछ जाननें के प्रति दृढ़ संकल्पित है। वैसे सफलता का कोई आसान रास्ता नही होता पर छोटी-छोटी पगडंडियों से राह सुगम हो जाती है।
पहले के समय मे जहां गणित,और विज्ञान की पढाई पर ही बल दिया जाता था।गणित और विज्ञान को कठिन विषय समझा जाता था।जिसका डर आज भी बच्चो के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है।
वर्तमान दौर मे इतिहास एवं सामान्य ज्ञान पर ही बल दिया जा रहा है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं मे अधिक अंक लाने के लिए आपको सामान्य ज्ञान होना बहुत जरूरी है और समय की मांग भी है।
तो मित्रों शुरू से ही यदि हम सामान्य ज्ञान का अध्ययन निरन्तर करते रहे तो हमें ज्यादा परेशानियों का सामना नही पड़ता।
सामान्य ज्ञान याद रखने का केवल और केवल एक ही तरीका होता है सुबह सुबह ध्यान एवं योगा और  सामान्य ज्ञान का समय समय पर दोहराव।
अंत मे मै उम्मीद करता हूं कि प्रस्तुत जानकारी आप लोगो के लिए उपयोगी होगी।
अगर लिखते समय कोई भूल हुई हो या आप कोई सुझाव देना चाहे कि आप किसके बारें मे जानकारी चाहते है तो कृपया करके मुझे अवगत करायें।
अगर मेरी वजह से किसी भी भाई बहिन के ज्ञान मे वृद्धि हुई तो मै अपने आपको भाग्यशाली समझूंगा।







मैक्डूगल के अनुसार-'संवेग उत्पन्न होने पर जो क्रिया होती है उसे मूल प्रवृत्ति कहलाती है'
प्रत्येक मूल प्रवृत्ति के साथ एक संवेग जुड़ा रहता है।
मूल प्रवृत्ति----संवेग

१.पलायन----भय
२.युयुत्सा----क्रोध
३.निवृत्ति----घृणा
४.पुत्रकामना----वात्सल्य
५.शरणागत----करूणा
६.काम प्रवृत्ति----कामुकता
७.जिज्ञासा----आश्चर्य
८.दीनता----आत्महीनता
९.आत्मगौरव----आत्माभिमान
१०.सामूहिकता----अकेलापन
११.भोजनान्वेषण----भूख
१२.संग्रह----अधिकार
१३.रचना----कृति
१४.हास्य----मनोविनोद

*सिगमंड फ्रायड ने व्यक्तित्व की 2 ही मूल प्रवृत्तियाँ बताई है।१.जीवन २.मृत्यु।
*प्रेम,स्नेह व काम प्रवृत्ति को 'लिविडो' कहते है ं।
*लड़को मे ऑडिपस ग्रन्थि पाई जाती है।
*लड़कियो मे इलेक्ट्रा ग्रन्थि पाई जाती है।

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